महाविद्यालयों में प्रधानाचार्य की बहाली प्रक्रिया शुरू, 15 वर्ष का अध्यापन अनुभव के प्रोफेसरों को मिलेगी प्राथमिकता

महाविद्यालयों में प्रधानाचार्य की बहाली प्रक्रिया शुरू, 15 वर्ष का अध्यापन अनुभव के प्रोफेसरों को मिलेगी प्राथमिकता

 

अब 15 वर्षों तक शिक्षण-शोध का अनुभव वाले प्रोफेसर या एसोसिएट प्रोफेसर ही राज्य के अंगीभूत महाविद्यालयों में प्रधानाचार्य पद नियुक्त हो सकेंगे। प्रधानाचार्यों की नियुक्ति के लिए अखिल भारतीय स्तर पर विज्ञापन दिए जाएंगे।

प्रधानाचार्यों की नियुक्ति बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग की अनुशंसा पर होगी। प्रधानाचार्य पद के लिए पीएचडी की डिग्री अनिवार्य होगी।

इससे संबंधित नये नियम-परिनियम पर राज्यपाल एवं कुलाधिपति राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने अपनी मंजूरी दे दी है।इसी के साथ प्रधानाचार्यों की नियुक्ति का कानून भी बदल गया है,जो तत्काल प्रभाव से लागू भी लागू हो गया है।

पांच वर्षों का होगा कार्यकाल, बेहतर प्रदर्शन पर मिलेगा सेवा विस्तार

राजभवन सचिवालय के मुताबिक अंगीभूत महाविद्यालयों में प्रधानाचार्य के पदों पर नियुक्ति में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की गाइडलाइन का अनुपालन अनिवार्य किया गया है।

नये प्रविधान में प्रधानाचार्य पद पर नियुक्ति के बाद पांच वर्षों का कार्यकाल होगा। बेहतर प्रदर्शन पर पांच वर्षों का एक कार्यकाल और मिलेगा। इसे सेवा विस्तार भी कह सकते हैं।

नियुक्ति में राज्य सरकार का आरक्षण का प्रावधान लागू होगा। नियुक्ति के लिए अंकों की तालिका भी तय हुई है। साक्षात्कार पर बीस अंक रखे गये हैं।

प्रधानाचार्य पद के लिए विज्ञापन के दिन अभ्यर्थी की अधिकतम उम्र सीमा साठ वर्ष निर्धारित की गयी है। इसके साथ ही और भी कई प्रावधान किए गए हैं।

3 सदस्यीय कमेटी ने बनायी नियमावली

राज्यपाल एवं कुलाधिपति के प्रधान सचिव राबर्ट एल. चोंग्थू के हस्ताक्षर से जारी अधिसूचना के मुताबिक, राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों एवं राज्य सरकार (बिहार राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद) के मंतव्य लेकर ही प्रधानाचार्य पद पर नियुक्ति संबंधी नये नियम का प्रविधान किया गया है, जिसका ड्राफ्ट शिक्षा विभाग को भी भेजा गया।

राज्य के पारंपरिक विश्वविद्यालयों के अंगीभूत महाविद्यालयों में प्रधानाचार्यों की नियुक्ति के लिए परिनियम का ड्राफ्ट बनाने के लिए बिहार राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम, 1976 (यथा अद्यतन संशोधित) एवं पटना विश्वविद्यालय अधिनियम, 1976 (यथा अद्यतन संशोधित) के प्रविधानों के तहत

परिनियम का ड्राफ्ट बनाने के लिए तीन कुलपतियों की कमेटी बनायी गयी थी जिसमें जयप्रकाश विश्वविद्यालय, नालंदा खुला विश्वविद्यालय एवं आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति शामिल थे।

बता दें कि राज्य के अंगीभूत महाविद्यालयों में प्रधानाचार्यों की नियुक्ति के लिए बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग द्वारा आवेदन लिये गये हैं। इसके लिए आयोग को रिक्तियां भी उपलब्ध करायी जा चुकी हैं।

वर्तमान में वस्तुस्थिति यह है कि राज्य के अधिकांश अंगीभूत महाविद्यालयों में प्रधानाचार्य के पदों पर प्रभारी व्यवस्था के तहत विश्वविद्यालयों द्वारा प्रधानाचार्य तैनात हैं।

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