आरक्षण के मामले मे सुप्रीम कोर्ट ने बिहार को दिया झटका, सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बिहार के प्रधान शिक्षकों का रिजल्ट होगा अत्यधिक प्रभावित, EBC, BC SC के CUT OFF मे होगा बड़ा उछाल
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि राज्यों को अनुसूचित जाति (एससी) की सूची को संशोधित करने का कोई अधिकार नहीं है. यह शक्ति विशेष रूप से संसद में निहित है, क्योंकि एससी सूची में कोई भी गलत समावेश वास्तविक एससी सदस्यों को उनके वैध लाभों से वंचित करता है.
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार के आरक्षण वाले बिहार की याचिका को खारिज कर दी है सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि किसी भी राज्य को आरक्षण का दायरा बढ़ाने का अधिकार नहीं है
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से बिहार में प्रधान शिक्षक व प्रधानाध्यापक के रिजल्ट पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ेगा प्रधान शिक्षक के EBC, BC, SC देखने को मिलेगा क्योंकि बिहार सरकार ने 65% आरक्षण के दर पर सिम आरक्षित की थी लेकिन अब बिहार लोक सेवा आयोग को 50% आरक्षण के हिसाब से ही रिजल्ट प्रकाशित करना होगा
2015 के बिहार सरकार के प्रस्ताव को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) सूची से तांती-तंतवा के एससी सूची में पान, सवासी, पनर के साथ विलय को एक दुर्भावनापूर्ण अभ्यास मानते हुए अमान्य करार दिया.
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने घोषणा की कि राज्य सरकार के पास संविधान के अनुच्छेद 341 के तहत एससी सूची में बदलाव करने का अधिकार नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा कि हमें यह मानने में कोई झिझक नहीं है कि एक जुलाई 2015 का संकल्प स्पष्ट रूप से अवैध था. क्योंकि राज्य सरकार के पास संविधान के अनुच्छेद 341 के तहत प्रकाशित अनुसूचित जातियों की सूचियों के साथ छेड़छाड़ करने की कोई अधिकार नहीं था.
राज्य के पास एससी सूची में बदलाव का अधिकार नहीं
2015 में एससी लाभ के लिए “तांती-तंतवा” को पान, सवासी, पनर के साथ विलय करने की बिहार की अधिसूचना को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई, लेकिन अदालत ने बरकरार रखा था. कई याचिकाकर्ताओं और संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की और वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जय सिंह के नेतृत्व में, याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि राज्य के पास एससी सूची में बदलाव करने का अधिकार नहीं है, जिसे केवल संसद में संशोधित किया जा सकता है.
जस्टिस विक्रम नाथ के फैसले ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि एससी सूची में कोई भी बदलाव संसद द्वारा अधिनियमित किया जाना चाहिए. अदालत ने तांती-तंतवा को एससी लाभ देने की बिहार की कार्रवाई को एक गंभीर संवैधानिक उल्लंघन पाया और इस बात पर जोर दिया कि इस तरह के कदम वास्तविक एससी सदस्यों को उनके लाभों से वंचित करती हैं.
आरक्षण से वंचित करना एक गंभीर मुद्दा
सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा कि राज्य की कार्रवाई दुर्भावनापूर्ण और संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करने वाली पाई गई है. राज्य को उसके द्वारा किये गये काम के लिए क्षमा नहीं किया जा सकता. संविधान के अनुच्छेद 341 के तहत सूची में शामिल अनुसूचित जाति के सदस्यों को आरक्षण से वंचित करना एक गंभीर मुद्दा है. कोई भी व्यक्ति जो योग्य नहीं है और ऐसी सूची में शामिल नहीं है, यदि राज्य द्वारा जानबूझकर और शरारती कारणों से इस तरह का लाभ दिया जाता है, तो वह अनुसूचित जाति के सदस्यों का लाभ नहीं छीन सकता है.