Bihar teachers transfer posting: शिक्षक ट्रांसफर-पोस्टिंग नीति से नाखुश हैं टीचर्स, जताई कई आपत्तियां,, मुख्यमंत्री ने शिक्षकों को नियमावली मे कुछ बदलाव करने का दिलाया भरोसा, उठाए सवाल…
बिहार सरकार के द्वारा बीते दिन शिक्षक ट्रांसफर-पोस्टिंग नीति से बिहार के शिक्षक नाखुश हैं। शिक्षकों ने ट्रांसफर पोस्टिंग नीति को लेकर कई आपत्तियां जताई है। दरअसल, दशहरा के पहले शिक्षकों को अच्छी खबर मिली है।
शिक्षा विभाग ने शिक्षकों के स्थानांतरण-पदस्थापन नीति का ऐलान कर दिया है। यह नीति स्थानीय निकायों द्वारा नियुक्त शिक्षकों पर लागू नहीं होगी। स्थानंतरण के इच्छुक शिक्षकों को ऑनलाइन माध्यम से आवेदन देना होगा। सभी स्थानांतरण के आवेदन पत्र ई- शिक्षा कोष के माध्यम से ऑनलाइन प्राप्त किए जाएंगे। किसी प्रकार के फिजिकल डॉक्यूमेंट जो पूर्व में जमा किए गए हैं ,उन्हें भी ऑनलाइन आवेदन जमा करना होगा। शिक्षा विभाग की नीति में कहा गया है कि शिक्षकों का प्रत्येक 5 वर्ष पर स्थानांतरण होगा।
वहीं अब शिक्षकों ने इस पर आपत्ति जताई है। शिक्षकों का कहना है कि, बिहार सरकार द्वारा जारी की गई नई पदस्थापन एवं स्थानांतरण नीति पर बिहार विद्यालय अध्यापक संघ को निम्नांकित आपत्तियां हैं:-1. ट्रांसफर नियमावली के अनुसार पुरुषों का गृह अनुमंडल में पोस्टिंग नहीं होगा। कई जिलों में एक ही अनुमंडल है… वहां क्या होगा? और यह बाध्यता पुरुष शिक्षकों के साथ ही क्यों? शिक्षिकाओं के लिए गृह पंचायत में पोस्टिंग नहीं होने की बाध्यता है। वहीं नियम पुरुषों के लिए भी होना चाहिए।
शिक्षकों का कहना है कि, किसी भी शिक्षिका की पोस्टिंग उसके गृह नगर निकाय या वर्तमान नगर निकाय में भी नहीं होगी। यह शहरी क्षेत्र में रहने वाली महिलाओं पर बहुत बड़ा जुल्म है। शहरी क्षेत्र के महिलाओं की पोस्टिंग सुदूर गांव में क्यों? अपने गृह नगर निकाय में उनकी पोस्टिंग से आखिर दिक्कत क्या है?? असाध्य रोगों से ग्रसित एवं दिव्यांग शिक्षकों को भी अपने गृह पंचायत या नगर निकाय में नहीं मिलेगी पोस्टिंग। ये कैसा नियम है? इन दोनों समूह वर्गों के शिक्षकों को तो अपने घर के सबसे नजदीक विद्यालय में पोस्टिंग मिलनी चाहिए चाहे वो उनका गृह पंचायत हो या नगर निकाय।
इस नियमावली में सबसे खराब प्रावधान है हर 5 साल में जबरन ट्रांसफर। यह समझ में नहीं आ रहा है। आज तक पूरे इतिहास में कभी शिक्षकों के लिए जबरन ट्रांसफर का प्रावधान नहीं रहा है। फिर इस बार ऐसा क्यों? क्या हर 5 साल में सरकार ट्रांसफर के माध्यम से अवैध कमाई करना चाहती है? इस नियमावली से सबसे ज्यादा फायदा यूपी/झारखंड वाले शिक्षकों को है। उन पर गृह नगर निकाय या अनुमंडल वाला नियम लागू ही नहीं होगा और उन्हें आराम से शहरी क्षेत्रों में पोस्टिंग मिल जाएगी। बिहार की महिलाएं गांवों में और बाहर की महिलाएं शहरों में!
संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमित विक्रम का कहना है कि सरकार ने बिना शिक्षक संघों से सुझाव लिए या उनसे बिना वार्ता किए जो नई स्थानांतरण एवं प्रतिस्थापन नीति तैयार की है उसमें व्यापक अनियमितताएं एवं भेदभावपूर्ण प्रावधान हैं। सरकार द्वारा जारी की गई उक्त नीति पर अभी भी शिक्षक सांडों के साथ बैठक करने की जरूरत है ताकि आवश्यक बदलाव किए जा सकें। अन्यथा की स्थिति में मामला हाईकोर्ट जाएगा और ट्रांसफर पॉलिसी लागू नहीं हो पाएगी।