बिहार के 1.50 डेढ़ करोड़ स्कूली बच्चों के लिए शिक्षा विभाग की बड़ी तैयारी,जनवरी में ही मिलेगी खुशखबरी…

बिहार के 1.50 डेढ़ करोड़ स्कूली बच्चों के लिए शिक्षा विभाग की बड़ी तैयारी,जनवरी में ही मिलेगी खुशखबरी…

 

 

बिहार सरकार जल्द ही डेढ़ करोड़ से अधिक स्कूली बच्चों के बैंक खातों में साइकिल, पोशाक और छात्रवृत्ति की राशि जमा करने जा रही है। शिक्षा विभाग ने इस संबंध में सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं।राज्य के डेढ़ करोड़ स्कूली छात्रों के लिए साइकिल, पोशाक और छात्रवृत्ति जैसी योजनाओं की राशि का भुगतान शीघ्र ही किया जाएगा।

शिक्षा विभाग इस संबंध में सक्रिय रूप से तैयारी कर रहा है। आशा है कि यह राशि दिसंबर के अंत या जनवरी के पहले सप्ताह में वितरित की जाएगी। वित्तीय वर्ष 2024-25 के अंतर्गत इस राशि का प्रावधान किया गया है, जिसके लिए विभाग ने लगभग चार हजार करोड़ रुपये का प्रबंध किया है। अप्रैल से सितंबर तक छात्रों की स्कूलों में 75 प्रतिशत उपस्थिति के आधार पर लाभार्थियों की सूची तैयार की गई है। पहली से 12वीं कक्षा तक के लगभग डेढ़ करोड़ छात्र इस सूची में शामिल हैं, जिनकी जानकारी विभाग के ई-शिक्षा कोष पर उपलब्ध है। स्कूल के प्रधानाध्यापकों के सहयोग से छात्रों की सूची पोर्टल पर अपलोड की गई है। हालांकि, पोर्टल पर छात्रों के नाम दर्ज करने का कार्य अभी भी जारी है। संबंधित राशि सीधे छात्रों के बैंक खातों में भेजी जाएगी।

जिलों से मिली जानकारी के अनुसार, पहली से 12वीं कक्षा में नामांकित विद्यार्थियों की कुल संख्या 1.80 करोड़ है। इनमें से 1.50 करोड़ विद्यार्थियों का विवरण पोर्टल पर दर्ज किया गया है। इसके अतिरिक्त, कन्या उत्थान योजना के अंतर्गत स्नातक उत्तीर्ण छात्राओं को 50-50 हजार रुपये की राशि का भुगतान करने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। जिन छात्राओं ने योजना के लिए आवेदन किया है और जिनके विश्वविद्यालयों से रिपोर्ट प्राप्त हो चुकी है, उन्हें यह राशि प्रदान की जाएगी।

बता दें कक्षा 1 से 12 तक के वे सभी बच्चे जो अप्रैल से सितंबर तक अपने स्कूल में 75% से अधिक उपस्थित रहे हैं। बच्चों की सूची ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर अपलोड की जा रही है।राशि सीधे बच्चों के बैंक खातों में डीबीटी के माध्यम से भेजी जाएगी।कन्या उत्थान योजना के तहत स्नातक उत्तीर्ण छात्राओं को भी 50-50 हजार रुपये दिए जाएंगे। पहली से 12वीं कक्षा में करीब 1.80 करोड़ बच्चे नामांकित हैं। इनमें से 1.50 करोड़ बच्चों की सूची पोर्टल पर दर्ज की जा चुकी है।

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