बीएड डिग्रीधारियों को मिलेगा ‘अभयदान’ : शिक्षा विभाग में ही एडजस्ट करने की तैयारी, डीएलएड वालों को भी मिलेगी नौकरी
न्यायालय के आदेश पश्चात स्कूल शिक्षा विभाग डीएलएड अभ्यर्थियों की सूची तैयार कर ली गई है। व्यापम द्वारा आयोजित की गई परीक्षा के आधार पर 2 हजार 900 कैंडिडेट्स की सूची मेरिट आधार पर आरक्षण रोस्टर का पालन करते हुए बनाई गई है।
हालांकि इसे अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है। अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, बीते 14 माह से नौकरी कर रहे बीएड डिग्रीधारी सहायक शिक्षकों के लिए दूसरी व्यवस्था किए जाने के बाद ही डीएलएड अभ्यर्थियों की चयन सूची जारी की जाएगी और उन्हें प्राथमिक कक्षाओं में बतौर शिक्षक नियुक्ति दी जाएगी।
10 दिसंबर को हुई सुनवाई के दौरान शासन द्वारा तर्क दिया गया था कि बीएड अभ्यर्थियों को मध्य सत्र से हटाए जाने पर पढ़ाई प्रभावित होगी। इस तर्क का न्यायालय ने नामंजूर करते हुए दो सप्ताह का समय दिया था। इसके पश्चात शासन द्वारा योग्य डीएलएड अभ्यर्थियों की सूची पर कार्य प्रारंभ कर दिया गया। ये सूची भी जल्द ही जारी कर दी जाएगी। प्रावीण्य सूची जारी होने के बाद डीएलएड अभ्यर्थियों को इस सत्र के अंत तक नियुक्ति मिलने की संभावना है।
6,500 में से 2,900 बीएड वाले
कांग्रेस शासनकाल में शिक्षकों के 10 हजार पदों के लिए भर्ती निकाली गई थी। इनमें से 6 हजार 500 पद सहयक शिक्षक अर्थात प्राथमिक कक्षाओं में शिक्षक के थे। इनमें से 2 हजार 900 पदों पर बीएड डिग्रीधारी कैंडिडेट्स को नियुक्ति दे दी गई, जिसे न्यायालय ने बाद में गलत ठहराते हुए इन पदों पर भी डीएलएड डिप्लोमाधारियों को नियुक्त करने आदेश जारी किया। बीएड डिग्रीधारी 2 हजार 900 सहायक शिक्षक बीते 14 माह से अपनी सेवाएं दे रहे हैं, जिन्हें उनके पद से अब हटाया जा रहा है। अपनी मांग लेकर गए कैंडिडेट्स से भी उच्च अधिकारियों द्वारा मौखिक रूप से सुझाव मांगे थे।
नवपद सृजन नहीं, लेकिन तलाश रहे रास्ता
चूंकि इन 2 हजार 900 कैंडिडेट्स में से अधिकतर के पास बीएड के अतिरिक्त कोई अन्य डिग्री नहीं है, इसलिए इन्हें अन्य विभाग में नियुक्ति नहीं दी जा सकती। अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, स्कूल शिक्षा विभाग में शिक्षकों के पद रिक्त हैं। ऐसे में बीएड अभ्यर्थियों को इन पदों पर ही एडजस्ट किया जाएगा, लेकिन इसके लिए रास्ता तलाशा जा रहा है। रिक्त पदों पर इन्हें नियुक्ति देने पर किसी तरह की विवाद की स्थिति निर्मित ना हो अथवा इनकी नियुक्ति को लेकर दोबारा किसी कानूनी लड़ाई ना लड़नी पड़े, इसके लिए न्यायविदों की सलाह ली जा रही है। इन्हें किन नियमों के तहत, किस तरह से एडजस्ट किया जाए, इस पर विमर्श हो रहा है।