शिक्षक नियुक्ति मामले में पटना हाई कोर्ट नीतीश सरकार व BPSC को लगाई फटकार व दिए शख्त निर्देश , मात्र 28 दिनों का दिया समय
हाई कोर्ट ने राज्य के स्कूलों में प्राथमिक, माध्यमिक एवं सीनियर सेकेंडरी शिक्षकों के पदों पर की गई नियुक्ति के मामले पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार एवं बिहार लोक सेवा आयोग को चार सप्ताह के भीतर जवाब दायर करने का निर्देश दिया है।
न्यायाधीश अंजनी कुमार शरण की एकलपीठ ने विमलेश कुमार पाण्डेय एवं अन्य द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए शुक्रवार को यह आदेश दिया। इस मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता रितिका रानी ने कोर्ट को बताया कि आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए राज्य के स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए 2023 में विज्ञापन निकाला गया।
इसके तहत प्राथमिक, माध्यमिक एवं सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति की जानी थी। इसमें आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षित पद थे, लेकिन विज्ञापन में यह जानकारी नहीं दी गई कि इस श्रेणी के अभ्यर्थियों के लिए कट आफ अंक क्या है।
अधिवक्ता रितिका रानी ने कोर्ट से अनुरोध किया कि इस श्रेणी के अभ्यर्थियों के लिए पांच प्रतिशत की छूट योग्यता सूची के कट आफ अंकों में देने का निर्देश दिया जाए।
शिक्षक नियुक्ति की नई नियमावली को चुनौती देने वाली याचिका पर निर्णय सुरक्षित
पटना हाई कोर्ट ने राज्य में शिक्षकों की नियुक्ति से संबंधित राज्य सरकार द्वारा बनाई गई नियमावली को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई पूरी कर निर्णय सुरक्षित रख लिया है। मुख्य न्यायाधीश के. विनोद चंद्रन एवं न्यायाधीश हरीश कुमार की खंडपीठ ने प्रमोद कुमार यादव एवं अन्य द्वारा दायर याचिकाओं पर शुक्रवार को सुनवाई की।
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता अभिनव श्रीवास्तव ने कोर्ट को बहस में बताया था कि राज्य सरकार ने राज्य में बड़े पैमाने शिक्षकों की नियुक्ति के लिए 2023 में नई नियमावली बनाई गई है। नई नियमावली के अंतर्गत 2006 से 2023 तक नियुक्त शिक्षकों को इस प्रक्रिया में शामिल होना होगा।
नई नियमावली के अंतर्गत जो शिक्षक परीक्षा में सफल होंगे, वे सरकारी कर्मी बन जाएंगे। जो नियोजित शिक्षक इस परीक्षा में सम्मिलित नहीं होंगे, उन पर पुरानी नियमावली ही लागू होगी। इस नई नियमावली के अंतर्गत शिक्षकों की नियुक्ति के लिए परीक्षा लेकर अनुशंसा करने की जिम्मेदारी बिहार लोक सेवा आयोग को सौंपी गई है।
याचिका में यह भी मुद्दा उठाया गया कि नियमावली 2006 के अंतर्गत नियुक्त शिक्षकों की योग्यता और कार्य समान है, पर नियमावली 2023 के अंतर्गत नियुक्त शिक्षकों का वेतन अलग होगा, जो कि समानता के सिद्धांत का उल्लंघन है। इस मामले में राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता पीके शाही एवं अधिवक्ता अमीष कुमार ने पक्षों को प्रस्तुत किया।