शिक्षकों की अब नही होगी कोई जांच , लेकिन सिस्टम में दिखेगी गड़बड़ी तो करेंगे करवाई :-डॉ एस सिद्धार्थ अपर मुख्य सचिव शिक्षा विभाग

शिक्षकों की अब नही होगी कोई जांच , लेकिन सिस्टम में दिखेगी गड़बड़ी तो करेंगे करवाई :-डॉ एस सिद्धार्थ अपर मुख्य सचिव शिक्षा विभाग

पटना. शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ एस सिद्धार्थ ने कहा है कि मेरा मत है कि शिक्षकों की पुलिसिंग नहीं होनी चाहिए. फिर भी अगर व्यवस्था में किसी ओर से गड़बड़ी की जाती है तो सख्ती करनी ही पड़ेगी.

हमारे लिए बच्चों की पढ़ाई अहम है. शिक्षा विभाग सितंबर- अक्तूबर में बच्चों की एक विशेष परीक्षा लेने जा रहा है. परीक्षा में अगर बच्चे फेल रहते हैं तो यह माना जायेगा कि शिक्षकों के पढ़ाने में ही कोई कमी है. ऐसे शिक्षकों को अलग से ट्रेनिंग दिलायी जायेगी. उन्होंने यह सारी बातें बुधवार को एक पॉडकॉस्ट कार्यक्रम के दौरान कहीं .

शिक्षा पर खर्च अधिक तो जिम्मेदारी भी

एस सिद्धार्थ ने कहा कि बिहार के बजट में शिक्षा का बजट दूसरे विभागों की तुलना में सबसे अधिक है. लिहाजा हमारी जिम्मेदारी बनती है कि स्कूलों में पढ़ाई की गुणवत्ता हर हाल में सुनिश्चित की जाए. मैं चाहता हूं कि लोग सरकारी स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ायें. इसके लिए हम दो मुद्दों पर जीरो टॉलरेंस पॉलिसी अख्तियार करेंगे. पहले तो कक्षा के समय बच्चा स्कूल से बाहर नहीं दिखाई देना चाहिए. दूसरे शिक्षक स्कूल में पढ़ाये. स्कूल टाइम के बाद हम शिक्षक को किसी तरह इंगेज नहीं करेंगे. एसीएस ने कहा है कि सरकार की मंशा साफ है कि हमारी पढ़ाई की गुणवत्ता अच्छी हो ताकि हमारा समाज अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाये.

रेंडमली और सिलेक्टिव होगी स्कूल की मॉनीटरिंग

मॉनीटिरिंग के मुद्दे पर उन्होंने दो टूक कहा कि विभाग ने इसकी जिम्मेदारी डीइओ को दे रखी है. उसे ही जवाबदेह माना जायेगा. शिक्षकों की स्कूल में उपस्थित ऐप से करने के निर्णय को उन्होंने बेहद अहम बताया. कहा कि इससे उनकी ही उपस्थिति नहीं , स्कूल के अन्य व्यवस्थाओं को भी जाना जा सकेगा. उन्होंने कहा कि स्कूल की मॉनीटरिंग ”रेंडमली और सिलेक्टिव” होनी चाहिए. स्कूलों में मध्याह्न भोजन की मॉनीटरिंग में जीविका दीदियों की भूमिका अहम बतायी. कहा कि उनके भी बच्चे सरकारी स्कूलों में ही पढ़ते हैं. वे अच्छे से मॉनीटरिंग कर सकेंगी.

बच्चों को पढ़ाना सबसे कठिन काम

अपर मुख्य सचिव ने कहा कि प्राइमरी के बच्चों को पढ़ाना सबसे कठिन होता है. आप पीएचडी क्यों न हों, बच्चों को पढ़ाना मुश्किल होगा. इसके लिए टीचर को बहुत मेहनत करनी होती है. उन्होंने कहा कि स्कूलों से बाहर रह रहे बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षकों को निजी तौर पर पढ़ाना चाहिए. खासतौर पर शाम के सयम वह क्लास लें तो अच्छा होगा. एस सिद्धार्थ ने कहा कि शिक्षकों को यह समझना चाहिए कि उनके ऊपर बड़ी जिम्मेदारी है और हर काम फरमान जारी हो तभी करें यह भी सही नहीं है.

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