अब सरकारी स्कूलों की जाँच 3 स्तरों में की जाएगी ;–ACS एस शिद्धार्थ, शिक्षा विभाग
बिहार में अब सरकारी स्कूलों की निगरानी 3 लेबल में होगी
बिहार के स्कूलों में पठन-पाठन, शिक्षकों-बच्चों की उपस्थिति और उपलब्ध सुविधाओं की निगरानी की तीन स्तरीय व्यवस्था बनी है। मकसद यही है कि बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले और साफ-सुथरे माहौल में वे पढ़ाई करें।
इसके अंतर्गत जिलों में कार्यरत पदाधिकारी स्कूलों में नियमित रूप से निरीक्षण कर रहे हैं। वहीं, सप्ताह में पांच स्कूलों का निरीक्षण शिक्षा विभाग में पदस्थापित अधिकारी भी कर रहे हैं। साथ ही विभाग के स्तर पर हर निरीक्षण रिपोर्ट की समीक्षा की जा रही है और फिर जिलों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिये जा रहे हैं। इस कार्य के लिए विभाग में अनुश्रवण कोषांग का गठन किया गया है।
स्कूलों में निरीक्षण के दौरान कौन-कौन सी बातों का ध्यान रखना है, किसकी जांच करनी है, इसको लेकर विभाग ने पदाधिकारियों को विस्तृत जानकारी दी है। जिला और विभागीय पदाधिकारियों की जांच रिपोर्ट की समीक्षा में जो भी कमी पायी जाती है,
उसके निराकरण के लिए संबधित जिला शिक्षा पदाधिकारी को विभाग के स्तर से निर्देश दिये जाते हैं। डीईओ की यह जिम्मेदारी होगी कि निरीक्षण और समीक्षा के बाद जो भी त्रुटियां, कमियां पायी गयी हैं, उनका निष्पादन वह सुनिश्चत कराएंगे। विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि स्कूलों के निरीक्षण में अगर ये बातें सामने आएंगी कि पूर्व की जांच रिपोर्ट में गलत सूचनाएं दी गयी हैं, तो संबंधित निरीक्षण पदाधिकारी पर भी कार्रवाई की जाएगी।
विभाग में गठित कोषांग की ओर से विभिन्न स्तर पर की गयी निरीक्षण और जांच की रिपोर्ट का मिलान भी किया जा रहा है। इसमें यह देखा जा रहा है कि किसी खास स्कूल के अलग-अलग पदाधिकारियों की ओर से किये गये निरीक्षण में कोई भिन्नता तो नहीं है।
विभाग ने स्पष्ट किया है कि निरीक्षण-जांच रिपोर्ट में अगर भिन्नता पायी जाती है तो संबंधित पदाधिकारी-कर्मी कठोर दंड के भागी होंगे। निरीक्षण के दौरान पेयजल की उपलब्धता, शौचालयों की सफाई और नल से उसमें पानी का आपूर्ति, बच्चों की संख्या के अनुपात में कमरे हैं या नहीं, इसका जायजा लिया जाता है।