कई टीचरों की सैलरी पर लगेगी रोक! विश्वविद्यालयों के कर्मियों पर भी होगा एक्शन, पढ़ लें IAS Siddharth का नया निर्देश
राज्य के विश्वविद्यालयों में कार्यरत जिन शिक्षकों का वेतन सत्यापन नहीं हुआ है और सूचनाएं शिक्षा विभाग के पे-रौल मैनेजमेंट पोर्ट पर अपलोड नहीं हुईं हैं, उन शिक्षकों के वेतन भुगतान पर रोक लगेगी।
वहीं ऐसे मामलों में विश्वविद्यालयों के जिम्मेदार अधिकारियों पर भी कार्रवाई होगी।
इस संबंध में उच्च शिक्षा निदेशालय ने सभी कुलसचिवों को निर्देश दिया है। इतना ही नहीं, राज्य के विश्वविद्यालयों में व्याप्त समस्याओं का निराकरण के लिए अब शिक्षा विभाग संबंधित अफसरों से हर माह सीधे बात करेगा। इस संवाद में विश्वविद्यालयों के कुलसचिवों, वित्तीय परामर्शियों एवं वित्त पदाधिकारियों की भागीदारी होगी।
संवाद बैठक में शामिल होने का आदेश
इसे लेकर विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ की ओर से विश्वविद्यालयों को तैयारी के साथ संवाद बैठक में शामिल होने को कहा है।
मासिक संवाद बैठक के एजेंडे में बजट, आवंटन एवं उपयोगिता प्रमाण-पत्र के तहत पे रौल मैनेजमेंट पोर्टल पर सभी सूचनाओं को अपलोड किया जाना, पे-रौल मैनेजमेंट पोर्टल का पे-स्लीप बनाने के लिए उपयोग, पे-रौल मैनेजमेंट पोर्टल द्वारा कुछ शिक्षक एवं कर्मियों का भुगतान नहीं होने का कारण समेत अन्य विषयों को शामिल किया गया है।
बैठक का एजेंडा भी तय
शिक्षा विभाग ने विश्वविद्यालयों के कुलसचिवों, वित्तीय परामर्शियों एवं वित्त पदाधिकारियों के साथ होने वाली बैठक का एजेंडा भी तय कर दिया है।
इसमें बजट, आवंटन एवं उपयोगिता प्रमाण-पत्र के तहत पे रौल मैनेजमेंट पोर्टल पर सभी सूचनाओं को अपलोड किया जाना शामिल है।
विभाग ने कुलसचिवों से पूछा है कि विश्वविद्यालयों को दिए गए विकास मद में राशि की वास्तविक व्यय की स्थिति के बारे में सूचना दें क्योंकि वित्तीय वर्ष के आठ माह बीत रहे हैं। खर्च की गई राशि संबंधी उपयोगिता प्रमाण पत्र क्यों नहीं अभी तक उपलब्ध कराया गया।
शिक्षा विभाग ने किया जांच टीम का गठन
उधर, एक अन्य मामले की बात करें तो मधुबनी में कई निजी स्कूलों की मनमानी व लापरवाही लगातार सामने आ रही है। नया मामला ट्रेंड शिक्षकों से संबंधित फर्जीवाड़े से है। इसको लेकर शिक्षा विभाग में आवेदन दिया गया है कि गलत जानकारी निजी स्कूल के द्वारा दिया गया है।
इसी आवेदन के आलोक में शिक्षा विभाग जांच टीम का भी गठन कर रह रही है। मालूम हो कि डाटा अपलोड के समय या विभाग को जानकारी देते समय कई स्कूल संचालक किसी ट्रेंड शिक्षक का नाम दे देते हैं लेकिन वास्तविकता में कुछ बड़े निजी स्कूलों को छोड़ दिया तो कई स्कूलों में ट्रेंड शिक्षक नहीं हैं।
ऐसे में जांच होने से कई निजी स्कूलों का पोल खुल सकता है। लोगों ने भी मांग किया है कि सरकारी स्कूलों की तरह निजी स्कूलों की भी समय समय पर जांच होनी चाहिए।
डीपीओ समग्र शिक्षा अभियान शुभम कसोधन ने बताया कि कुछ स्कूलों को लेकर शिकायत की गयी है जिसके आलोक में मामले की जांच की जाएगी। इसमें अगर किसी साइबर कैफे वाले की मिलीभगत पायी जाती है तो उसपर भी नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।