विश्वविद्यालय के खातों के संचालन से हाईकोर्ट ने हटाई रोक शिक्षा विभाग के अपर सचिव को नहीं है यह अधिकार

विश्वविद्यालय के खातों के संचालन से हाईकोर्ट ने हटाई रोक शिक्षा विभाग के अपर सचिव को नहीं है यह अधिकार

पटना हाई कोर्ट ने राजकीय विश्वविद्यालय के कर्मियों के वेतन पर रोक लगाने और विश्वविद्यालय की अकाउंट के फ्रीज करने संबंधी आदेश पर अगले आदेश तक स्थगित कर दिया है

हाई कोर्ट पटना ने यह भी स्पष्ट किया है कि अगले आदेश तक किसी भी यूनिवर्सिटी या इसके कर्मियों के विरुद्ध कोई दनदनात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी कोर्ट ने यह भी उम्मीद जताया है कि विश्वविद्यालय अब सेवा दे रहे कर्मियों के वेतन जारी करेगी और सेवानिवृत्ति बकाए का भुगतान भी करेगी साथ ही परीक्षा को कार्यक्रम के अनुसार आगे बढ़ाएगी ताकि शिक्षा सत्र नियमित और बरकरार रखा जा सके और।

विद्यार्थियों का हित प्रभावित न हो इसके साथ ही जस्टिस अंजनी कुमार शरण की कल्पित ने शिक्षा विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी को राज्य के सभी विश्वविद्यालय के सभी आला अधिकारियों के साथ आगामी 6 में को बैठक बुलाने का आदेश भी किया है मीटिंग राजधानी पटना स्थित मौर्य होटल में पूर्वाह्न 11:00 बजे निर्धारित की गई है ।

कोर्ट ने यह आदेश मगध यूनिवर्सिटी समेत अन्य यूनिवर्सिटी द्वारा दी याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है विश्वविद्यालय के अधिवक्ता ने बहुत से महत्वपूर्ण मुद्दे को बहस के दौरान रखा भारत के दौरान राज्य सरकार के महाधिवक्ता पीके शाही वह एडिशनल सॉलिसिटर जनरल के एमसी में संयुक्त रूप से प्रस्ताव रखा की शिक्षा विभाग के सभी विश्वविद्यालय के बी और अधिकारियों की बैठक किसी निष्पक्ष स्थान पर रखा जा सकता है और यह सुझाव दिया गया या ।

बैठक 6 में को पटना के मौर्या होटल में किया जा सकता है जिसका खर्च राज सरकार वहन करेगी इस तरह से कोर्ट ने शिक्षा विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी के साथ संबंधित विश्वविद्यालय के बी रजिस्ट्रार परीक्षा नियंत्रक वित्तीय सलाहकार और कर्मियों को बैठक में भाग लेने का आदेश दिया है लेकिन कोई भी बैठक की अध्यक्षता नहीं करेंगे हालांकि कोर्ट ने उम्मीद जताया है कि यदि राज्य के चीफ सेक्रेटरी उक्त तिथि को खाली रहते हैं तो वह उक्त बैठक की अध्यक्षता कर सकते हैं ।

कोर्ट ने पूरे बैठक की कार्रवाई की वीडियोग्राफी कराने क्यों कहा है अधिवक्ता विंध्याचल राय समिति सिद्धार्थ प्रसाद राणा विक्रम सिंह रितेश कुमार अक्षर मुस्तफा व राजेश चौधरी ने कोर्ट को बताया कि विश्वविद्यालय कानून के तहत शिक्षा विभाग वाइस चांसलर को बैठक में भाग लेने के लिए नहीं बुला सकती है वरीयता क्रम में कुलपति सबसे ऊपर होते हैं कोर्ट ने इस मामले में आगे की सुनवाई के लिए आगामी 17 में को सूचीबद्ध करने को कहा है यदि जरूरत हो तो इसे बाद में देखा जाएगा

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