के के पाठक ने नीतीश की लुटिया डुबोई, बिहार के शिक्षकों की नाराजगी नीतीश को पड़ी भारी, NDA को नीतीश का गठबंधन ने पहुचाया अत्यधिक नोकसान, EXIT POLL में हुआ खुलासा
लोकसभा चुनाव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एग्जिट पोल के अनुसार काफी नुकसान दिखाया गया है एग्जिट पोल में बताया गया है कि भाजपा को नीतीश कुमार से गठबंधन करने के कारण काफी नुकसान हुआ है
लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार को नुकसान होने के पीछे शिक्षा विभाग के अधिकारी के के पाठक 90% तक जिम्मेदार बताए गए हैं केके पाठक ने बिहार के शिक्षकों बच्चों और अभिभावकों को इतना परेशान किया कि लोगों ने नीतीश कुमार को इसी वजह से वोट ही नहीं किया यह वोट किया तो बहुत कम संख्या में वोट किया किसी का कम यजा नीतीश कुमार को लोकसभा चुनाव में भुगतना पड़ा है
शिक्षकों को अत्यधिक टॉर्चर करने पर शिक्षकों ने अपनी नाराजगी कई बार मुख्यमंत्री से बताएं लेकिन मुख्यमंत्री ने क्रिकेट पाठक पर किसी तरह का एक्शन नहीं दिया इसलिए शिक्षक समाज भी नीतीश कुमार से काफी नाराज रहे जिसका स्पष्ट नजर एग्जिट पोल में देखने को मिल रहा है
लोकसभा चुनाव के सातवें चरण का चुनाव संपन्न हो चुका है. लोकसभा चुनाव के 7 चरणों में बिहार की 40 लोकसभा सीटों के लिए वोटिंग हुई. सातवें चरण का चुनाव संपन्न होते हुए लोकसभा चुनाव 2024 का एग्जिट पोल भी सामने आ गया है.
हालांकि अब पूरे देश की निगाहें 4 जून पर टिक गई है, जब ईवीएम (EVM) खुलेगा और देश की जनता ने किसे बहुमत दिया है उस पर से तस्वीर साफ हो पाएगी. लेकिन, उसके पहले तमाम चैनलों के एग्जिट पोल (Exit Poll) के सामने आने के बाद बिहार में सियासी हलचल तेज हो गई है. वहीं एग्जिट पोल के नतीजों की माने तो नीतीश कुमार की पॉपुलैरिटी में कमी को लेकर भी चर्चा होनी शुरू हो गयी है.
दरअसल एग्जिट पोल के अनुसार एनडीए की 40 में 40 सीटों के दावे पर ग्रहण लगता दिख रहा है. अब ऐसे में यह भी सवाल उठ रहा है कि बिहार में एनडीए की सीटों में कमी की वजह कहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जनाधार में कमी तो नहीं है. दरअसल तमाम एग्जिट पोल में बिहार में एनडीए की सीटों में कमी बताई जा रही है. किसी भी एग्जिट पोल में बिहार में एनडीए को 40 सीटें नहीं मिलती दिख रही हैं, जिसके बाद बिहार के सियासी हलके में इसकी वजह खोजी जा रही है.
क्या कहते हैं राजनीतिक जानकार?
राजनीतिक विश्लेषक अरुण पांडे कहते हैं कि वजह तो खोजी जाएगी. लेकिन, यह भी सच है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अंडर करंट ने बिहार में एनडीए की नैया पार तो कराई है. लेकिन, नीतीश कुमार की पार्टी को जिस तरह से एग्जिट पोल में नुकसान दिखाया जा रहा है. वो ना सिर्फ जदयू बल्कि एनडीए के लिए चिंता का सबब है क्योंकि अगले साल विधानसभा चुनाव होना है. अरुण पांडे कहते हैं कि तेजस्वी यादव ने पूरे प्रचार के दौरान रोज़गार को बड़ा मुद्दा बनाया जिसने युवाओं को काफी लुभाया. वहीं दूसरी तरफ बिहार में विकास का श्रेय भी लिया और जनता को भी यह बताने में सफल होते दिख रहे हैं कि रोजगार से लेकर विकास तक उनके 17 महीने में सरकार में शामिल होने की वजह से हुआ.
उन्होंने बताया कि पूरे चुनाव में एनडीए और INDI गठबंधन में प्रचार के दौरान नीतीश कुमार पर खूब निशाना साधा गया जिसका कोई ठोस जवाब एनडीए के तरफ़ से नहीं दिया जा सका. बिहार में एनडीए की सिट में अगर कमी होती है तो तेजस्वी यादव का मनोबल काफी बढ़ेगा जिसका नुकसान विधानसभा चुनाव में एनडीए को हो सकता है.