बीपीएससी परिणाम में शर्तें लागू हैं; रिजल्ट मान्य होगा या नहीं, तय करेगा पटना हाईकोर्ट
कई तरह का विज्ञापन होता है, जिसमें नीचे लिखा मिलता है- *शर्तें लागू। कुछ इसी तरह से बिहार लोक सेवा आयोग ने गुरुवार को 70वीं संयुक्त प्राथमिक प्रतियोगिता परीक्षा का परिणाम जारी किया है।
आगे बढ़ने के पहले शर्तों को ध्यान से पढ़ें- “एकीकृत 70वीं संयुक्त (प्रा.) प्रतियोगिता परीक्षा से सम्बन्धित माननीय उच्च न्यायालय, पटना में दायर याचिका CWIC- 369/2025 में पारित आदेश के फलाफल से परीक्षा परिणाम प्रभावित होगा। साथ ही जिन अभ्यर्थियों को आयोग द्वारा प्रतिवारित (Debared) किया गया है एवम् भविष्य में प्रतिवारित (Debar) किया जाना है उनकी भी अभ्यर्थिता प्रभावित होगी।”
इस शर्त के पीछे वह आंदोलन और एक याचिका है
बिहार लोक सेवा आयोग की 70वीं संयुक्त प्राथमिक प्रतियोगिता परीक्षा हंगामे के कारण विवादों में आ गई थी। पटना के एक परीक्षा केंद्र की तस्वीरें और वीडियो वायरल होने के बाद हंगामे ने पैर पसारना शुरू किया। आयोग ने उस परीक्षा केंद्र पर पुनर्परीक्षा ले ली, लेकिन वह हंगामा शांत नहीं हुआ। बीपीएससी अभ्यर्थियों ने परीक्षा केंद्र में देर से प्रश्नपत्र देने, परीक्षा कक्ष में प्रश्नपत्रों के कम-ज्यादा होने, एक-दूसरे रूप में खुले में ले जाए जाने, परीक्षा के दौरान उत्तरपुस्तिका छीन-झपट जैसे मुद्दों को जोड़ते हुए पेपर लीक तक का आरोप लगाया था।
इन आरोपों के साथ परीक्षार्थियों का हंगामा शुरू तो छोटे स्तर पर हुआ, लेकिन फिर राजनीति के दिग्गजों का घुसना शुरू हुआ और मामला बढ़ता गया। पहले विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव घुसे। फिर निर्दलीय सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव। उसके बाद कमान संभाल ली जन सुराज पार्टी के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने। इस क्रम में दो बार पुलिस से आंदोलनकारियों की झड़प भी हुई। कई कोचिंग संचालकों पर प्राथमिकी भी। अब तो लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी भी पटना आने पर बीपीएससी आंदोलनकारियों के साथ खड़े होकर गए हैं। इन नेताओं में प्रशांत किशोर ने दो बड़े काम किए। एक तो उन्होंने लंबी भूख हड़ताल की और दूसरी कि हाईकोर्ट में परीक्षार्थियों से एक याचिका दायर करवा दी। बीपीएससी ने जो शर्तें लिखी हैं, उसके पीछे यही याचिका वजह है।
अंतरिम राहत नहीं दी, लेकिन कोर्ट ने शर्तें बता दीं
शेखपुरा के पप्पू कुमार, पूर्वी चंपारण के संदीप कुमार सिंह, गया के रवीश कुमार राज, रोहतास के हिमांशु राज, मुजफ्फरपुर के सुभाष कुमार ठाकुर, दीपक कुमार व दीपशिखा, खगड़िया की खुशी कुमारी, नालंदा के गौतम कुमार व सत्यम राज, औरंगाबाद के राजन कुमार तिवारी, सुपौल के चंदन कुमार, पटना के विवेक कुमार और अररिया के आकाश आनंद ने सामूहिक रूप से यह याचिका (CWIC- 369/2025) दायर की थी। यह 14 नाम हाई कोर्ट में सामने से हैं, जबकि प्रशांत किशोर और उनका राजनीतिक दल- जन सुराज इसके साथ अंदर से खड़ा है।
बिहार के मुख्य सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग के प्रधान सचिव, बिहार लोक सेवा आयोग, बिहार लोक सेवा आयोग के सचिव और परीक्षा नियंत्रक को इसमें परिवादी बनाया गया है। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरीय अधिवक्ता वाई वी गिरी हाईकोर्ट में जिरह कर रहे हैं। आंदोलन अभी भी चल रहा है, लेकिन ठंड के साथ थोड़ा ठंडा पड़ा है। गुरुवार को परिणाम आने के कुछ घंटे पहले भाजपा दफ्तर में आंदोलनकारियों ने कुछ देर के लिए हंगामा किया, लेकिन बाकी समय शांति ही रह रही। वजह यह भी है कि हाईकोर्ट ने 31 जनवरी को सुनवाई की अगली तारीख देने के साथ ही स्पष्ट किया था कि याचिकाकर्ता की अपील पर कोई अंतरिम राहत नहीं दी जाएगी, लेकिन आयोग अगर रिजल्ट जारी करता है तो वह औपबंधिक होगा। यही परिणाम आज आया है, लेकिन यह पूरी तरह से हाईकोर्ट के फैसले पर निर्भर करेगा। अगर याचिकाकर्ताओं की दलील खारिज हो जाती है तो बीपीएससी की ओर से गुरुवार को जारी परिणाम लागू रह जाएगा और हाईकोर्ट का नजरिया भी आंदोलनकारियों की अपील के साथ गया तो यह परिणाम रद्द हो जाएगा। मतलब, पास होने वाले 21581 अभ्यर्थी पास होकर भी पेंडिंग रिजल्ट वाली स्थिति में हैं, जबकि असफल रहे 307409 अभ्यर्थियों को यह मौका बचाने के लिए पटना हाईकोर्ट से अंतिम उम्मीद है।