मिड डे मील में अंडा और चावल खाने के बाद 80 बच्चे बीमार, अस्पताल में भर्ती; घटना से मचा हड़कंप
जिले में मध्याह्न भोजन के दौरान परोसे गए अंडा-चावल खाने के बाद 80 स्कूली बच्चे बीमार पड़ गए। यह घटना हरनौत प्रखंड के श्री चंदपुर प्राथमिक विद्यालय में शुक्रवार को हुई, जिससे इलाके में हड़कंप मच गया।
भोजन के बाद अचानक बिगड़ी तबीयत
घटना के बाद बच्चों को तुरंत कल्याण विगहा रेफरल अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों की टीम ने उनका इलाज शुरू किया। बच्चों को अंडा खाने के कुछ ही देर बाद उल्टी, पेट दर्द और चक्कर आने जैसी शिकायतें होने लगीं। स्कूल प्रशासन ने स्थिति को गंभीरता से लेते हुए तुरंत स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों को सूचित किया और अस्पताल पहुंचाने के लिए एंबुलेंस की व्यवस्था कराई।
विद्यालय की शिक्षिका ऋतु कुमारी ने बताया कि दोपहर में मध्याह्न भोजन के तहत अंडा और चावल परोसा गया था। अंडा खाने के बाद कुछ बच्चों ने बेचैनी महसूस की और थोड़ी देर बाद उनकी तबीयत तेजी से बिगड़ने लगी। स्कूल स्टाफ ने तत्काल प्रशासन को सूचना दी और बीमार बच्चों को अस्पताल भिजवाया गया।
बच्चे अब खतरे से बाहर
अस्पताल में भर्ती बच्चों का इलाज कर रहे वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. राकेश रंजन ने बताया कि सभी बच्चों की स्थिति अब स्थिर है और खतरे से बाहर है। उन्होंने कहा कि बच्चों को फूड प्वाइजनिंग के लक्षण थे, जिनका इलाज किया जा रहा है। अभी स्थिति नियंत्रण में है और हम लगातार उनकी निगरानी कर रहे हैं।
प्रशासन ने दिए जांच के आदेश
जिला प्रशासन को घटना की सूचना मिलते ही अधिकारी अस्पताल पहुंचे और बच्चों की स्थिति का जायजा लिया। जिला शिक्षा अधिकारी राजकुमार ने कहा कि घटना की गंभीरता को देखते हुए जांच के आदेश दे दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि हम यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि खाने की गुणवत्ता में कोई खराबी थी या भोजन तैयार करने में कोई लापरवाही हुई। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
भोजन की गुणवत्ता सुधारने की मांग
घटना के बाद स्थानीय नागरिकों और अभिभावकों में आक्रोश देखा गया। उन्होंने मांग की कि मध्याह्न भोजन कार्यक्रम में पारदर्शिता लाई जाए और भोजन की गुणवत्ता की नियमित जांच हो। कई अभिभावकों ने शिकायत की कि स्कूलों में मिलने वाले खाने की गुणवत्ता पर उचित ध्यान नहीं दिया जाता, जिससे इस तरह की घटनाएं होती हैं। स्थानीय निवासी रमेश पासवान ने कहा कि बच्चों की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं होना चाहिए। स्कूलों में परोसे जाने वाले भोजन की नियमित जांच होनी चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को टाला जा सके।
पिछले मामलों से नहीं ली गई सीख?
बिहार में मध्याह्न भोजन से फूड प्वाइजनिंग के मामले पहले भी सामने आ चुके हैं। कई बार भोजन की गुणवत्ता पर सवाल उठे हैं, लेकिन प्रशासन द्वारा ठोस कदम नहीं उठाए गए। यह घटना एक बार फिर से यह सोचने पर मजबूर कर रही है कि क्या सरकारी स्कूलों में बच्चों की सेहत के साथ खिलवाड़ हो रहा है?
आगे क्या?
जांच पूरी होने के बाद ही यह स्पष्ट हो सकेगा कि खाने में किसी तरह की मिलावट थी या फिर भोजन तैयार करने में लापरवाही बरती गई। जिला प्रशासन ने भरोसा दिलाया है कि दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे। फिलहाल प्रशासन और डॉक्टरों की टीम बच्चों की सेहत पर नजर बनाए हुए है और अभिभावकों को भरोसा दिलाया गया है कि सभी बच्चे सुरक्षित हैं।