बिहार मे एक सरकारी शिक्षक बना डॉक्टर, सोसल मिडिया पर हो रही वायरल, स्वास्थ्य विभाग ने शुरू की जाँच, शिक्षा विभाग भी डॉक्टर साहब पर कारवाई की कर रही तैयारी
अलग-अलग पोज में दवाएं लिखते और इंजेक्शन लगाते परवेज की ये तस्वीरें देखते ही देखते वायरल हो गईं। तस्वीरों में वह अपने कथित नर्सिंग होम या मेडिकल शॉप में मरीजों को दवाएं देते और परामर्श करते दिख रहा है, जबकि उसके पास किसी प्रकार की चिकित्सकीय डिग्री या पंजीकरण नहीं है।
सामाजिक कार्यकर्ता ने उठाई आवाज
सामाजिक कार्यकर्ता अंजार ए हाशमी ने इस पूरे मामले को सार्वजनिक कर शिक्षक परवेज आलम पर पद के दुरुपयोग और अवैध चिकित्सकीय गतिविधियों का आरोप लगाया। हाशमी ने कहा कि बिना योग्यता और पंजीकरण के इलाज करना गंभीर अपराध है और इससे कई लोगों की जान जोखिम में पड़ सकती है। उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय, जिले के डीएम और सिविल सर्जन को लिखित शिकायत भेजकर कार्रवाई की मांग की।
स्वास्थ्य विभाग ने दिए जांच के निर्देश
मुजफ्फरपुर के सिविल सर्जन डॉ. अजय कुमार ने पुष्टि की कि मामला विभाग के संज्ञान में आ चुका है। उन्होंने बताया कि परवेज आलम द्वारा स्वयं पोस्ट की गई तस्वीरों और प्राप्त शिकायतों के आधार पर बोचहा के प्रखंड चिकित्सा पदाधिकारी (BMO) को विस्तृत जांच के आदेश जारी कर दिए गए हैं। जांच रिपोर्ट मिलने के बाद नियमानुसार कठोर कार्रवाई की जाएगी।
शिक्षक की दोहरी भूमिका पर सवाल
परवेज आलम दिन में सरकारी विद्यालय में शिक्षक के तौर पर पढ़ाते हैं, जबकि स्कूल के बाहर कथित रूप से नर्सिंग होम चलाते हुए मरीजों को दवाएं देते और ‘डॉक्टर’ बनकर इलाज करते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि कई ग्रामीण उसे डॉक्टर समझ कर इलाज कराने आते थे और उसकी दी गई दवाओं से कुछ मरीजों को गंभीर दुष्परिणाम तक भुगतने पड़े हैं।
स्वास्थ्य विभाग की टीम अब परवेज आलम की चिकित्सकीय पात्रता, उसके नर्सिंग होम के वैध कागजात और सोशल मीडिया पर डाली गई सामग्री की सत्यता का परीक्षण करेगी। अगर आरोप सही पाए जाते हैं तो भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम और ड्रग्स ऐंड कॉस्मेटिक्स ऐक्ट के तहत मामला दर्ज कर उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। इस बीच विभाग ने लोगों से भी अपील की है कि वे किसी अयोग्य डॉक्टर के चक्कर में न पड़ें और उपचार के लिए सिर्फ पंजीकृत चिकित्सकों से ही परामर्श लें।