PM श्री योजना स्कुल के लिए बिहार को केंद्र सरकार ने 3000 करोड़ रूपये किया अलॉट 

PM श्री योजना स्कुल के लिए बिहार को केंद्र सरकार ने 3000 करोड़ रूपये किया अलॉट 

 

जब बिहार में महागठबंधन की सरकार थी तब पीएम श्री (प्रधानमंत्री स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया) योजना में रुचि नहीं दिखाई गई। अब नीतीश सरकार ने पहली बार इस योजना में रुचि ली है और इसमें राज्य के 1746 विद्यालयों को सम्मिलित कराने की तैयारी है।

इसके लिए सभी जिलों में विद्यालयों के चयन हेतु टीम का गठन हुआ है।

शिक्षा विभाग का कहना है कि इस वित्तीय वर्ष में केंद्र सरकार ने 3007 करोड़ रुपये के आवंटन की सैद्धांतिक सहमति दी है। बता दें कि आधारभूत संरचना के विकास के लिए पीएम श्री स्कूल को दो करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता देने का प्रविधान है।

एसीएस ने की बैठक

विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने राज्य में पीएम श्री योजना के क्रियावयन को लेकर संबंधित अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की है। माध्यमिक शिक्षा निदेशालय के एक अधिकारी ने बताया कि शिक्षा विभाग ने पीएम श्री योजना में अगले साल तक राज्य के कम से कम चार हजार विद्यालयों को शामिल कराने का लक्ष्य रखा है।

इसके लिए हर जिले में विद्यालयों का चयन किया जा रहा है। उनमें से अंतिम सूची तैयार कर केंद्र सरकार से अनुशंसा की जाएगी। इतना तय है कि प्रत्येक प्रखंड से चयनित दो विद्यालयों के नाम की अनुंशसा भेजने का काम अंतिम चरण में है।

विद्यालयों की अनुशंसा प्राप्त होने पर केंद्र सरकार की कमेटी बैठेगी और फिर पीएम श्री योजना में इस साल राज्य का कोटा तय किया जाएगा। हालांकि यह कोटा राज्य सरकार की दावेदारी पर भी निर्भर करेगी।

चयनित होनेवाले विद्यालयों को मॉडल के रूप में विकसित किया जाएगा। स्मार्ट क्लास, कौशल विकास कर्मशाला, विज्ञान प्रयोगशाला, कंप्यूटर प्रयोगशाला, इंटरनेट सुविधा, पुस्तकालय, खेल का मैदान, जिम आदि सुविधाओं का विकास को प्राथमिकता दी जाएगी।

योजना में चयन के दो वर्ष के भीतर सभी कक्षाओं में ड्रॉपआउट दर शून्य सुनिश्चित करने, छात्र-शिक्षक अनुपात के मानदंडों का पालन करने और विभिन्न गतिविधियों पर आधारित कार्यक्रम का आयोजन, खेलकूद, कला-संस्कृति और खेल-खेल में कौशल विकास शिक्षण को लागू करने पर काम करना होता है।

पीएम श्री योजना के लिए विद्यालयों का चयन

पीएम श्री योजना में विद्यालयों का चयन ‘चैलेंज मोड’ के माध्यम से किया जाता है। जो विद्यालय कुछ न्यूनतम मानदंडों (अच्छी स्थिति में विद्यालय भवन, स्वच्छ परिसर, बैरियर फ्री एक्सेस रैंप, छात्रों व छात्राओं के लिए कम से कम एक-एक शौचालय, तय मानक के अनुरुप शिक्षक-छात्र अनुपात) को पूरा करते हैं। जिसमें शहरी क्षेत्र के विद्यालय को कम से कम 70 प्रतिशत एवं ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालय को 60 प्रतिशत अंक प्राप्त करने होते हैं।

विद्यालयों की अंतिम सूची शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता सचिव की अध्यक्षता वाली एक विशेष समिति तय करती है। प्रत्येक प्रखंड/शहरी स्थानीय निकाय से अधिकतम दो विद्यालयों का चयन का प्रविधान है जिनमें एक प्राथमिक विद्यालय और एक माध्यमिक या उच्च माध्ममिक विद्यालय शामिल है।

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