अगर आपके पास ये सर्टिफिकेट नहीं तो सरकारी स्कूल में नहीं मिलेगी ये नौकरी, बदल गया नियम, जाने क्या है पूरी खबर…
हार के सरकारी स्कूल की व्यवस्थाओं को सुधारने के लिए आए दिन बिहार सरकार और शिक्षा विभाग की ओर से कई कोशिशें की जाती है। इसी कड़ी में शिक्षा विभाग ने नया फरमान जारी किया है। इसके अनुसार अगर आपके पास एक सर्टिफिकेट नहीं होगा तो आपका चयन सरकारी स्कूल में रसोइया के लिए नहीं होगा।
दरअसल, विभाग ने सरकारी स्कूल में रसोइया भर्ती का नियम बदल दिया है।
मिली जानकारी अनुसार मध्याह्न भोजन योजना में रसोइया सह सहायक के चयन में बदलाव किया गया है। विभाग अब रसोइया और सहायक के चयन के लिए मेडिकल सर्टिफिकेट को देना अनिर्वाय कर दिया है। मेडिकल सर्टिफिकेट देना इसलिए जरुरी है क्योंकि इसके जरिए उम्मीदवारों को ये साफ करना होगा कि उन्हें किसी प्रकार की असाध्य या संक्रमित बीमारी नहीं है। साथ ही विभाग ने रसोइया और सहायक के कार्यकाल के क्रम में मुत्यु होने पर चार लाख रुपए की सहायता राशि देगा। इसके अलावा प्रतिवेदन दो महीने के अंदर भेजना अनिर्वाय कर दिया है।
बता दें कि, रसोइया सह सहायक को अपना मेडिकल सर्टिफिकेट जिला में पदस्थापित किसी चिकित्सा पदाधिकारी द्वारा बनाकर सत्यापन उपरांत चयन समिति को देना होगा। जिसके बाद उनका चयन होगा। इसको लेकर मिड डे मिल के निदेशक योगेंद्र सिंह ने जिला कार्यक्रम पदाधिकारी को मध्याह्न भोजन योजना को जरुरी रुप से लागू करने का ऐलान कर दिया है। हालांकि अब तक सरकारी स्कूल में रसोइया या सहायक के लिए मेडिकल सर्टिफिकेट की जरुरत नहीं थी, लेकिन अब इसे अनिवार्य कर दिया गया है।
इसके लिए नोटिस भी जारी किया गया है। इसके अनुसार सरकारी स्कूल में रसोइया सह सहायक की संख्या निर्धारण कुल नामांकित छात्र-छात्राओं के 85 प्रतिशत संख्या को आधार मानकर किया जाएगा। वहीं जिस स्कूल में 1 से 25 तक छात्र-छात्रों की संख्या होगी तो उस स्कूल में एक ही रसोइया की बहाली की जाएगी। इसी तरह 26 से 100 तक के लिए 2, 101 से 200 के लिए 3, 201 से 300 के लिए 4, 301 से 400 के लिए पांच, 401 से 500 कर छात्र-छात्राओं के लिए 6 रोसइया सह सहायक का चयन होगा। यदि छात्र-छात्राओं की संख्या इससे अधिक हुई तो फिर हर स्कूल में इन संख्या के अधिक 300 छात्र-छात्राओं पर एक अलग से रसोइया सह सहायक की बहाली होगी।
वहीं यदि रसोइया सह सहायक की मौत किसी कारणवश कार्यकाल के दौरान ही हो जाता है तो फिर उन्हें विभाग की और से चार लाख रुपए की मदद यानि मुआवजा दी जाएगी। साथ ही कार्यकाल के क्रम में मुत्यु होने वाले रसोइया का प्रतिवेदन दो माह के अंदर डीपीओ के अनुशंसा के विभाग को देना भी अनिवार्य होगा। ताकि सही समय पर सहायता राशि मृतक के परिजनों को मिल सके।