बिहार में 5 हजार प्राइवेट स्कूलों की मान्यता होगी रद्द
बिहार के 38 जिलों में स्थित लगभग 5000 निजी स्कूलों की मान्यता रद्द हो सकती है, क्योंकि इन स्कूलों ने शिक्षा के अधिकार अधिनियम (Right to Education Act) के निर्धारित मानकों का पालन नहीं किया है।
यह घटनाक्रम शिक्षा विभाग के लिए एक बड़ा संकट बनकर उभरा है, क्योंकि इन स्कूलों ने जरूरी रिपोर्टों को सरकार के मुख्यालय में जमा नहीं किया है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने बिहार सरकार को ऐसे स्कूलों की सूची सौंपते हुए इन पर कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। यह मामला उस समय और अधिक गंभीर हो गया है, जब इन स्कूलों द्वारा सरकारी योजनाओं का दुरुपयोग और गरीब बच्चों से अवैध फीस वसूलने की खबरें सामने आईं हैं।
शिक्षा के अधिकार अधिनियम का उल्लंघन
शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 में एक स्पष्ट प्रावधान है कि निजी स्कूलों को अपनी सीटों की जानकारी और अन्य जरूरी रिपोर्ट सरकार को समय पर देना होता है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले और स्कूलों की मान्यता सिर्फ तभी बनी रहे, जब वे सरकार द्वारा तय किए गए मानकों का पालन करें। बिहार के जिन 5000 स्कूलों पर यह खतरा मंडरा रहा है, उन्होंने समय-समय पर शिक्षा विभाग द्वारा मांगी गई जानकारियों को पेश नहीं किया है।
इन स्कूलों में से अधिकांश पटना (800), मुजफ्फरपुर (640), और भागलपुर (500) में स्थित हैं। इसके अलावा, गया, मुंगेर, सिवान, छपरा, वाल्मीकिनगर, मधुबनी, सासाराम और सहरसा जैसे अन्य जिलों के भी कई स्कूल इस सूची में शामिल हैं। इन जिलों के स्कूलों द्वारा शिक्षा के अधिकार के तहत अनिवार्य रिपोर्टों का पालन न करना, एक गंभीर प्रशासनिक चूक को दर्शाता है।
शिक्षा विभाग का सख्त आदेश हुआ जारी
शिक्षा विभाग ने इन स्कूलों से बार-बार सीटों की जानकारी मांगी थी, लेकिन अधिकांश स्कूलों ने रिपोर्ट नहीं सौंपी। विभाग द्वारा सख्त निर्देश जारी किए गए हैं कि अगर इन स्कूलों ने जल्द ही अपनी रिपोर्ट नहीं सौंपी और सरकार के मानकों का पालन नहीं किया, तो उनकी मान्यता रद्द कर दी जाएगी। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की ओर से बिहार सरकार को इन स्कूलों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है।