पायलेट प्रोजेक्ट के तहत MDM का संचालन शुरू होते ही सामने  आने लगी कई तरह की खामियाँ, हेडमास्टर की खली कमी, सोच मे पड़ गए ACS 

पायलेट प्रोजेक्ट के तहत MDM का संचालन शुरू होते ही सामने  आने लगी कई तरह की खामियाँ, हेडमास्टर की खली कमी, सोच मे पड़ गए ACS 

 

नई नियमावली के तहत हेडमास्टर की जगह दूसरे शिक्षक को एमडीएम का प्रभार तो दे दिया गया है लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि एमडीएम प्रभार वाले शिक्षक के विषय कौन पढ़ाएंगे। हिन्दुस्तान पड़ताल से यह बात सामने आई कि शिक्षकों को एमडीएम की जिम्मेदारी मिलने से कहीं अंग्रेजी की पढ़ाई प्रभावित है तो कहीं संस्कृत की। कही विज्ञान की पढ़ाई बाधित तो कही उर्दू की पढ़ाई ठप।

इन विषयों के शिक्षकों के मध्याह्न भोजन के प्रभारी बनने के कारण ऐसी परेशानी उत्पन्न हुई है। दबे जुबान यह शिक्षा विभाग के अधिकारी भी कहते हैं। एक तरफ एचएम आसिसियल कार्य में व्यस्त हैं तो दूसरी तरफ शिक्षक एमडीएम के संचालन में लगे हुए हैं।

यानी एचएम व दूसरे शिक्षक का अधिकांश समय गैर शैक्षणिक कार्यों में ही बीत रहा है। सबसे अधिक परेशानी उन विद्यालयों को हो रही है जहां एचएम सहित केवल दो ही शिक्षक हैं। एचएम आफिस का काम करेंगे और दूसरा एमडीएम का तो फिर बच्चों की पढ़ाई कैसे होगी। यह सबसे बड़ा सवाल है।

22 शिक्षक एमडीएम प्रभारी बनने से किया इंकार: यहां बता दें कि अभी कुर्साकांटा प्रखंड के मध्याह्न भोजन संचालित 126 विद्यालयों में पायलट प्रोजेक्ट लागू किया गया है। हालांकि इसमें से 22 विद्यालयो के नामित शिक्षकों ने मध्याह्न भोजन प्रभारी से नाम हटाने का आवेदन विभाग को दिया है। 13 मई से कुर्साकांटा प्रखण्ड के विद्यालयों में पायलट प्रोजेक्ट लागू किया गया है। यह 13 जून तक चलेगा। अभिभावकों का कहना है कि तब से विद्यालयों की शैक्षणिक व्यवस्था प्रभावित हो रही है।

पहले की व्यवस्था में मध्याह्न भोजन का संचालन प्रधानाध्यापक करते थे, पायलट प्रोजेक्ट के लिए तहत लागू नई व्यवस्था में नामित शिक्षक मध्याह्न भोजन का कार्य संचालित करते हैं। कोई बीपीएससी वाले हैं तो कोई सक्षमता पास वाले। कही संस्कृत विषय के है तो गणित विज्ञान अथवा अंग्रेजी विषय के। इन विषयों को पढ़ाने वाले शिक्षक अब मध्याह्न भोजन देख रहे हैं।

ऐसे में इन विषयों की पढ़ाई प्रभावित होना स्वाभाविक है। एक तो मध्य विद्यालय में जरूरत के अनुसार पहले से ही विषयवार और सेक्शन के अनुसार शिक्षक नहीं है, ऊपर से शिक्षकों पर मध्याह्न भोजन का संचालन दे देने से विषय की पढ़ाई प्रभावित है। खासकर नए शैक्षिक सत्र में कक्षा छह से आठ तक एनसीईआरटी की किताबें शुरू हुई है, ऐसे में इन विषयों को कोई भी शिक्षक नहीं पढ़ा सकेंगे, हिन्दी और सामाजिक विज्ञान विषय तो फिर भी पढ़ाया जा सकता है।

कई विद्यालयों में मध्याह्न भोजन के लिए नामित शिक्षक के साथ साथ अन्य शिक्षक भी मध्याह्न भोजन में अब दिलचस्पी दिखाने लगे हैं। इसको लेकर कही राजनीति न शुरू हो जाय। नाम नहीं छापने पर एक प्रधानाध्यापक ने बताया कि विद्यालयों में गुटबाजी शुरू हो गई है। इसका सीधा असर पढ़ाई पर पड़ सकता है।

एक प्रधानाध्यापक ने बताया कि पहले सिर्फ विद्यालय प्रधान विभागीय कार्य में उलझे रहते थे, अब उलझने के लिए अलग से एक शिक्षक नामित हो गए हैं। कही कही तो उस एक नामित के पीछे और एक दो शिक्षक उलझे रहते हैं। पहले सिर्फ प्रधानाध्यापक बीआरसी का और जिला कार्यालय का चक्कर लगाते थे अब विद्यालय के एक और शिक्षक चक्कर लगाएंगे, कभी प्रतिवेदन लेकर तो कभी स्पष्टीकरण लेकर।

सब का सीधा प्रभाव विद्यालय की शैक्षणिक व्यवस्था पर दिखेगा। क्या है पायलट प्रोजेक्ट: शिक्षा विभाग ने राज्य के सभी जिलों के एक प्रखंड के सभी विद्यालयों में मध्याह्न भोजन संचालित करने के लिए नई व्यवस्था शुरू की है। इसके तहत विद्यालय के प्रधानाध्यापक को एमडीएम संचालन से मुक्त करते हुए विद्यालय के किसी अन्य शिक्षक को इस कार्य के लिए नामित कर दिया गया है।

अररिया जिले में इस प्रोजेक्ट के तहत कुर्साकांटा प्रखण्ड का चयन किया गया है। विभाग का उद्देश्य यह है कि प्रधानाध्यापक शैक्षणिक व्यवस्था में सहयोग करेंगे, मगर विभागी अधिकारी ये अंदाजा नहीं लगा सकी कि इसके लिए नामित शिक्षक भी शैक्षणिक व्यवस्था से कट जाएंगे। यह व्यवस्था 13 मई से 13 जून तक के लिए है।

हालांकि दो जून से गर्मी की छुट्टी हो रही है अभी ये योजना ट्रायल में है तो 126 विद्यालयों की ये हालत है, अगर विभाग फिर भी राज्य के सभी स्कूलों में लागू करती है तो यह तस्वीर जिले के 1935 विद्यालयों की होगी। शिक्षक संघ पहले ही कर चुका है विरोध: इस प्रोजेक्ट को लेकर शिक्षक संघ पहले ही विरोध कर चुका है।

संघ का कहना है कि मध्याह्न भोजन योजना एनजीओ को दे देना चाहिए। कहा पहले केवल एचएम गैर शैक्षणिक कार्य में रहते थे व्यस्त अब एमडीएम प्रभारी भी व्यस्त रहेंगे। ऐसे में बच्चों की पढ़ाई कैसे होगी। बोले पदाधिकारी: पायलेट प्रोजेक्ट के तहत जिले के कुर्साकांटा प्रखंड के 126 स्कूलों में एमडीएम का संचालन शुरू है।

22 नामित शिक्षकों ने एमडीएम का प्रभार लेने से इंकार किया है। इसकी जानकारी निदेशालय दी गयी है। वहां से दिशा-निर्देश मिलने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। जहां तक कुछ विषयों की पढ़ाई बाधित होने की बात है तो शुरूआती दिनों में ऐसा होना स्वाभाविक है, धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा। -रोहित कुमार चौरसिया, एमडीएम डीपीओ अररिया

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