सक्षमता पास शिक्षकों की ट्रांसफर पोस्टिंग पॉलिसी की सच्चाई आई सामने, किसी भी शिक्षक व शिक्षिकाओं को नहीं मिलेगा 10 विद्यालय का ऑप्शन
शिक्षकों के ट्रांसफर पोस्टिंग पॉलिसी की सच्चाई सामने आने महिला शिक्षिकाओं, दिव्यांग शिक्षकों, आसाध्य रोग से ग्रस्त शिक्षकों सहित पुरुष शिक्षकों के पैरो तले से खिसक गईं जमीन, सरकार ने बड़ी चालाकी से तैयार की ट्रांसफर पोस्टिंग पॉलिसी
नियमित वेतनमान वाले शिक्षकों साक्षमता पास शिक्षकों व बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा नियुक्त शिक्षकों के राम स्थानांतरण के लिए जो पॉलिसी शिक्षा विभाग ने तैयार की है उसमें कई तरह की खामियां हैं
शिक्षाओं के ट्रांसफर पोस्टिंग पॉलिसी के द्वारा बिहार सरकार ने एक बार फिर शिक्षकों ठगने का काम क्या है क्योंकि इस ट्रांसफर पोस्टिंग पॉलिसी में ना तो किसी महिलाओं को फायदा हुआ और ना ही दिव्यांगजनों को और ना ही असाध्य रोग से ग्रस्त रोगियों को ही फायदा हुआ है बल्कि इससे और अधिक उन्हें नुकसान ही हो गया है
पुरुष शिक्षकों के साथ तो सरकार ने सौतेला व्यवहार क्या है
शिक्षकों के ट्रांसफर पोस्टिंग पॉलिसी में कल तक बताया जा रहे थे कि 10 विद्यालय का विकल्प दिया जाएगा लेकिन नियमावली आते ही यह स्पष्ट कर दिया गया की 10 विद्यालय का विकल्प नहीं बल्कि 10 पंचायत या नगर निकाय या प्रखंड या अनुमंडल का ही विकल्प दिया जाएगा ऐसी स्थिति में महिला शिक्षिकाओं दिव्यांगजन शिक्षकों असद्रो से ग्रस्त शिक्षकों को पहले से ज्यादा दूरी तय करनी होगी अब उन्हें कम से कम 15 से 20 किलोमीटर की दूरी पर ही स्कूल आवंटित हो पाएगा
जबकि बात किया जाए पुरुष शिक्षकों को तो कृष्णा अनुमंडल में उनकी पोस्टिंग नहीं होगी बल्कि दूसरे अनुमंडल का विकल्प उनसे लिया जाएगा उनसे भी 10 विद्यालय का विकल्प नहीं लिया जाएगा बल्कि विद्यालय का विकल्प सरकार अपने से खुद से देगी ऐसी स्थिति में पुरुष शिक्षकों को भी लगभग 50 से 100 किलोमीटर की दूरी तय करनी होगी
पति पत्नी शिक्षक शिक्षिकाओं के लिए भी सरकार ने इस नियमावली में कोई राहत नहीं दी है बल्कि इस नियमावली में पति की पोस्टिंग के आधार पर पत्नी शिक्षिका की पोस्टिंग करने की बात कही गई है जबकि पति को भी अनुमंडल छोड़ना होगा ऐसी स्थिति में पति-पत्नी दोनों को लगभग अपने घरों से 50 से 100 किलोमीटर की दूरी तय करनी होगी
कुल मिलाकर कहा जाए तो शिक्षकों के इस ट्रांसफर पोस्टिंग पॉलिसी मैं ना तो किसी महिला को ना किसी दिव्यांग जनों को और ना ही किसी और साथ रूप से ग्रस्त शिक्षकों को और ना ही कोई पुरुष शिक्षकों को इससे फायदा है बल्कि इससे बहुत ज्यादा शिक्षकों को नुकसान ही होगा