नियोजित शिक्षकों के सक्षमता परीक्षा बहिष्कार एलान पर फूल तेवर में आया शिक्षा विभाग ,
बिहार के नियोजित शिक्षको के एक संघ ने कुछ ऐसा ऐलान कर दिया है, जिसे सुन कर लगता है मानो वो कह रहे हों आ बैल मुझे मार, दरअसल ऐसा इसलिए क्योंकि कुछ नियोजित शिक्षको पर इसी तरह का कदम उठाने पर शिक्षा विभाग ने कड़ा फैसला लिया, और न सिर्फ उनका वेतन काटा गया, बल्कि राज्यकर्मी का दर्जा प्राप्त करने के उनके अवसर को भी हमेशा के लिए खत्म कर दिया गया।
नियोजित शिक्षको ने राज्यकर्मी का दर्जा प्राप्त करने के लिए लम्बा आंदोलन किया। सालों के संघर्ष के बाद सरकार ने उनके लिए दरवाजा खोला। सक्षमता परीक्षा जो तीन बार ऑनलाइन और दो बार ऑफलाइन माध्यम से देकर सभी नियोजित शिक्षकों के लिए राज्यकर्मी वाली सुविधा प्राप्त करने के योग्य बन सकते थे, उसकी व्यवस्था की गई, लेकिन इस व्यवस्था से भी कुछ नियोजित शिक्षक संघ संतुष्ट नहीं थे, और अपनी शर्तों के साथ डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी से मिलने पहुंच गए, साथ ही शिक्षा मंत्री विजय चौधरी दोनो की ओर से आश्वासन मिला, लेकिन संतुष्टी फिर भी नहीं हुई।
इसके बाद तो मामला राजनीतिक हो गया, कोई गुट परीक्षा के पक्ष में दिखा, कोई सशर्त परीक्षा देने के पक्ष में तो कोई गुट बिना शर्त बिना परीक्षा राज्यकर्मी का दर्जा देने की मांग पर अड़ गया। इधर मुंगेर में सक्षमता परीक्षा का विरोध करने वाले 21 शिक्षको को चिन्हित कर उनका 7 दिन का वेतन काटा गया, विरोध प्रदर्शन को लेकर शो-कॉज किया गया और साथ ही की गई वो कार्रवाई जिसका उन्हें जरा भी अंदेशा नहीं रहा होगा। उनके राज्यकर्मी का दर्जा प्राप्त करने का रास्ता बंद करते हुए विभागीय आदेश जारी कर सक्षमता परीक्षा में शामिल होने के लिए अयोग्य ठहरा दिया गया।
इधर बिहार शिक्षक एकता मंच ने सभी जिलो में एडमिट कार्ड जलाकर सक्षमता परीक्षा का विरोध करने का ऐलान कर दिया है, इसके साथ ही उन्होंने 28 फरवरी को विधायकों के आवास घेराव का भी निर्णय लिया है, एक प्रयास दबाव बनाने का ताकि उन्हें बिना शर्त राज्यकर्मी का दर्जा मिले, लेकिन परिस्थितियों को देखे और शिक्षा विभाग के फैसलों पर नजर डाले तो लगता है कि कहीं उनका ये फैसला बैकफायर न कर जाए, और विरोध प्रदर्शन को लेकर उनपर भी वैसी ही कार्रवाई न हो जाए, जैसी मुंगेर में विरोध प्रदर्शन करने वाले नियोजित शिक्षकों पर हुई है।