शिक्षकों का तबादला लटक गया क्या? अब कब होगा ट्रांसफर, मैट्रिक इंटर की परीक्षा भी सामने, इंतजार कीजिए…

शिक्षकों का तबादला लटक गया क्या? अब कब होगा ट्रांसफर, मैट्रिक इंटर की परीक्षा भी सामने, इंतजार कीजिए…

 

 

बिहार में शिक्षकों का तबादला कब होगा ये बड़ा सवाल बन गया है। शिक्षा विभाग ने जनवरी माह में ही शिक्षकों का तबादला करने का लक्ष्य बनाया था लेकिन जनवरी माह के खत्म होने में मात्र 4 दिन बचे हैं और अब तक केवल 35 शिक्षकों का ही तबादला हुआ है।

इससे शिक्षकों में भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। वहीं इसी बीच बिहार सरकार ने शिक्षकों के तबादले की प्रक्रिया में बड़ा बदलाव करते हुए इसे पूरी तरह डिजिटल कर दिया है। अब सभी तबादले ऑनलाइन होंगे। विभाग का मानना है कि इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और प्रक्रिया तेज होगी।

शिक्षा विभाग के अनुसार, तबादलों की पहली सूची 30 जनवरी तक जारी की जाएगी, और मैट्रिक व इंटर की परीक्षाओं के बाद शिक्षकों की नई जगहों पर पोस्टिंग की जाएगी। इस नई प्रणाली का उद्देश्य तबादले में होने वाली देरी और गड़बड़ियों को समाप्त करना है। अब मैनुअल तबादले पूरी तरह खत्म कर दिए गए हैं। सॉफ्टवेयर के माध्यम से शिक्षकों को उनकी योग्यता और खाली पदों के अनुसार पोस्टिंग मिलेगी। शिक्षा विभाग का कहना है कि यह कदम न केवल पारदर्शिता सुनिश्चित करेगा, बल्कि शिक्षकों के लिए भी फायदेमंद होगा।

शिक्षा विभाग चार चरणों में यह प्रक्रिया पूरी करेगा। जनवरी में पहला चरण समाप्त होगा, जबकि बाकी तीन चरण फरवरी में पूरे किए जाएंगे। हर चरण की नई तारीखें बाद में घोषित की जाएंगी। सभी जिलों से ऑनलाइन रिक्त पदों की जानकारी जुटाई जा रही है और सॉफ्टवेयर में डेटा अपडेट किया जा रहा है। शिक्षकों को उनके नए स्कूल की जानकारी सॉफ्टवेयर के जरिए दी जाएगी।

अब तक 35 कैंसर पीड़ित शिक्षकों का तबादला किया जा चुका है। विभाग ने इसे भ्रष्टाचार और पक्षपात रोकने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है। नई प्रणाली से शिक्षकों को उनकी योग्यता के अनुसार सही जगह पर पोस्टिंग मिलेगी।

इस डिजिटल प्रणाली से शिक्षकों को तबादले के लिए दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी, जिससे समय और ऊर्जा की बचत होगी। शिक्षकों को भरोसा दिलाया गया है कि यह प्रणाली पूरी तरह पारदर्शी और समयबद्ध होगी।

शिक्षा विभाग का मानना है कि यह कदम शिक्षा क्षेत्र में क्रांति लाएगा। अधिकारियों को अब कागजी कार्रवाई में कम समय लगाना पड़ेगा, जिससे वे नीतिगत मामलों पर अधिक ध्यान केंद्रित कर सकेंगे। यह बदलाव शिक्षकों और छात्रों दोनों के लिए फायदेमंद साबित होगा और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाएगा।

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